Breaking News
मंत्री रेखा आर्या ने अपने हाथों से बनाकर बच्चों को खिलाई खिचड़ी
उत्तराखंड निकाय चुनाव- 23 जनवरी को रहेगा सार्वजनिक अवकाश
फिल्म ‘द राजा साब’ से प्रभास का नया पोस्टर जारी, रिलीज डेट भी हुई पोस्टपोन
पौड़ी अस्पताल में कतिपय समस्याओं पर मुख्यमंत्री ने तलब की रिपोर्ट
हरबर्टपुर में सीएम धामी के रोड-शो और जनसभा में उमड़ा जनसैलाब
मौसम विज्ञान विभाग के 150वें स्थापना दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने मिशन मौसम की शुरुआत की
श्रद्धालुओं के लिए खोले गए आदिबदरी मंदिर के कपाट
पोस्टरबाज़ी करता स्वयं घोषित ‘सचिव’? सरकार ने जारी किए सख्त आदेश 
हाइड्रोजन युक्त पानी पीने के हैं कई फायदे, आइए जानते है इससे होने वाले स्वास्थ्य लाभ

सौ दिन की सीख

राहुल गांधी की बातों में अब जमीनी स्पर्श के संकेत मिलते हैं। यह संकेत ग्रहण किया जा सकता है कि सडक़ों पर पैदल चलते हुए आम लोगों से उनका जो सीधा संपर्क हुआ है, उससे उन्हें कुछ सीख मिली है।
भारत जोड़ो यात्रा में 100 दिन तक आगे बढऩे के बाद राहुल गांधी एक बदले हुए व्यक्ति नजर आते हैं। उनकी बातों में अब जमीनी स्पर्श के संकेत मिलते हैं। यानी यह संकेत ग्रहण किया जा सकता है कि सडक़ों पर पैदल चलते हुए आम लोगों से उनका जो सीधा संपर्क हुआ है, उससे उन्हें कुछ सीख मिली है। एक सवाल पर उनका यह जवाब इसी सीख से निकला कि इस देश में आर्थिक अन्याय हो रहा है। इस हद तक कि बहुसंख्यक जनता- खास कर नौजवान सपने तो देखते हैं, लेकिन इस बात से आगाह रहते हुए कि उन सपनों के पूरा होने की संभावना नहीं है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अपनी आगे की यात्रा में राहुल गांधी को यह अहसास भी होगा कि आखिर सपनों पर ये बिजली क्यों गिरी है और इसके लिए कौन-सी नीतियां जिम्मेदार हैं? इस बात के भी संकेत हैं कि उन्हें अपनी पार्टी की कुछ कमजोरियां उन्हें समझ में आई हैं।
मसलन, उनका यह कहना कि इंदिरा गांधी या राजीव गांधी ने देश के लिए क्या किया, उसका हर मीटिंग में उल्लेख नहीं किया जाना चाहिए। बात इस पर होनी चाहिए कि आज क्या करना है और आगे किधर जाना है। क्या इस बात में किसी को शक है कि अभी तक कांग्रेस एक अतीतजीवी पार्टी बनी हुई है? राहुल गांधी ने एक और काबिल-ए-गौर बात कही है। उन्होंने कहा कि भाजपा चाहे जो हो, पार्टी को यह पता है कि वह क्या है और उसे क्या करना है। यह उसकी सफलता का राज़ है। लेकिन कांग्रेस यह भूल गई है। राहुल गांधी का मानना है कि जिस रोज कांग्रेस को यह मालूम हो जाएगा कि वह क्या है, उस रोज उसकी सफलता की राह निकल आएगी। ये तमाम वो बातें हैं, जिन्हें अब तक कांग्रेस से सहानुभूति रखने वाले उसके आलोचक कहते रहे हैँ। अब राहुल गांधी को इन बातों का प्रत्यक्ष अनुभव हुआ है, तो इसे पार्टी के लिए एक शुभ लक्षण कहा जाएगा। जाहिर है, तो पार्टी की कामयाबी का कोई इंस्टैंट फॉर्मूला नहीं है। लेकिन प्रयासों को सही दिशा मिल जाए, तो फिर फॉर्मूले निकल कर आने लगते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top