Breaking News
सीएम की प्रेरणा से आखिर डीएम जिले में ले ही आए आधुनिक लांग रेंज इमरजेंसी सायरन, आपदा परिचालन केन्द्र में किया परीक्षण
सीएम धामी ने हिमाद्री ट्रैकिंग अभियान-2025 को हरी झंडी दिखाकर किया रवाना
पेट में गैस क्यों बनती है? आइये जानते हैं इसके कारण और असरदार समाधान
IMA से 419 कैडेट्स हुए भारतीय सेना में शामिल
चारधाम यात्रा में उमड़ा भक्तों का सैलाब, अब तक 28 लाख से अधिक श्रद्धालु कर चुके हैं दर्शन
बॉक्स ऑफिस पर धीमी हुई ‘हाउसफुल 5’ की रफ्तार, जानिए फिल्म का अब तक का टोटल कलेक्शन
प्रदेश के लिए मेडल जीतते ही नौकरी तैयार मिलेगी- रेखा आर्या
भू-कानून उल्लंघन पर जिला प्रशासन की सख्ती, अब तक 900 बीघा जमीन सरकार में निहित
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया किशोर रहाटकर ने सीएम धामी से की शिष्टाचार भेंट

श्रीलंका में भारतीय आई ड्रॉप से 35 लोगों की आंखें संक्रमित, दवा पर लगाई गई रोक

नई दिल्ली। श्रीलंका के अस्पतालों में 35 मरीजों में आंखों का संक्रमण बढऩे पर भारत निर्मित दवा की जांच शुरू हुई है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के सूत्रों ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि गुजरात की फार्मा कंपनी की दवा की जांच की जा रही है। शिकायत मिली है कि मिथाइल प्रेडनिसोलोन आई ड्रॉप का उपयोग करने के बाद मरीजों में बैक्टीरिया संक्रमण बढ़ा है। इसी साल मार्च में कंपनी ने आईड्रॉप के दो बड़े बैच श्रीलंका निर्यात किए, लेकिन अप्रैल में वहां के तीन बड़े अस्पतालों में करीब 30 लोगों ने दवा लेने के बाद आंखों में संक्रमण की शिकायत की।

इसके बाद श्रीलंका की सरकार ने न सिर्फ दवा पर तत्काल रोक लगाई, बल्कि उसके खिलाफ जांच भी शुरू कर दी। इस बीच कंपनी ने भी अपनी दवाओं को वापस ले लिया। श्रीलंका सरकार ने 16 मई को पत्र लिखकर भारत से भी निष्पक्ष जांच की अपील की। हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ। मनसुख मांडविया ने चेतावनी देते हुए कहा कि फार्मा उद्योग देश की साख से जुड़ा है। अगर गुणवत्ता से समझौता किया जाता है तो यह देश के लिए अच्छा नहीं रहेगा और इसे कभी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि श्रीलंका से पत्र मिलने के बाद तत्काल दवा की जांच करने के निर्देश दिए गए हैं। कंपनी के मौजूदा बैच को सील कर दिया गया है। नमूने केंद्रीय प्रयोगशाला भेजे हैं, जहां से 10 से 15 दिन में रिपोर्ट मिलने की संभावना है।

यह नौ माह में चौथा ऐसा मामला है, जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय दवाओं की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। पहले गांबिया और उज्बेकिस्तान में बच्चों की मौत के पीछे भारतीय कंपनियों के कफ सीरप को जिम्मेदार ठहराया गया था। जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय फार्मा क्षेत्र की गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हुए थे। इसी तरह का एक मामला मार्शल आइलैंड्स और माइक्रोनेशिया में भी सामने आया, जिसके बाद बीते अप्रैल माह में डब्ल्यूएचओ ने अलर्ट जारी किया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top