Breaking News
अब उत्तराखंड के स्कूलों में गूंजेगा गीता का ज्ञान 
श्रावणी मेला 2025 का वर्चुअल उद्घाटन, मुख्यमंत्री धामी ने दी शुभकामनाएं
लोक पर्व “हरेला” हमारी सांस्कृतिक विरासत का महत्वपूर्ण हिस्सा- महाराज
क्या आप भी करते हैं समोसे का अधिक सेवन, अगर हां, तो जान लीजिये इसके नुकसान
राहुल गांधी के ‘जेल भेजेंगे’ बयान पर हिमंत बिस्वा सरमा का करारा जवाब
शनाया कपूर की डेब्यू फिल्म ‘आंखों की गुस्ताखियां’ बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप
उत्तराखंड से पकड़ी गई 12 करोड़ की MDMA ड्रग्स, मुंबई तक फैले नेटवर्क का भंडाफोड़
हरेला पर्व पर राज्यव्यापी पौधारोपण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने रोपा रुद्राक्ष का पौधा
हरिद्वार में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, एक ही दिन में 31 लाख श्रद्धालुओं ने भरा गंगाजल

23 साल बाद जाकर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मूल निवास को फिर दी पहचान

मूल निवासियों के मूल निवास प्रमाण पत्र की बनी रहेगी उपयोगिता

नहीं बनाने होंगे स्थाई निवास, मूल निवासियों की पहचान बचाए रखने को सीएम धामी का बड़ा फैसला

देहरादून। राज्य गठन के 23 साल बाद जाकर उत्तराखंड के मूल निवासियों को फिर पहचान मिली है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने मूल निवास प्रमाण पत्र को न मानने वालों के सख्त कदम उठाते हुए नई व्यवस्था जारी कर दी है। अब ऐसे मूल निवासी, जिनके मूल निवास प्रमाण पत्र बने हुए हैं, उन्हें स्थाई निवास प्रमाण पत्र बनाने की कोई जरूरत नहीं होगी। उनके पुराने मूल निवास प्रमाण पत्र ही मान्य होंगे। उनके मूल निवास प्रमाण पत्र की पहचान बनी रहेगी। मूल निवासियों की पहचान बचाए रखने और मूल निवास प्रमाण पत्र के महत्व को बनाए रखने को सीएम धामी की ओर से बड़ा फैसला लिया गया है।

इस फैसले के तहत सचिव विनोद कुमार सुमन ने बुधवार को स्पष्ट आदेश जारी कर दिए हैं। इस आदेश के तहत अब मूल निवास प्रमाण पत्र धारक से कोई भी विभाग स्थाई निवास प्रमाण पत्र की मांग नहीं करेगा। सरकारी नौकरियों, सरकार की योजनाओं में मूल निवास प्रमाण पत्र ही मान्य होंगे। सरकारी विभागों में मूल निवास प्रमाण पत्र की इस अनदेखी का स्वयं सीएम पुष्कर सिंह धामी ने संज्ञान लिया था। सीएम की सख्ती के बाद ही तत्काल सचिव सामान्य प्रशासन की ओर से आदेश जारी कर दिए गए हैं।

सीएम के इस फैसले ने मूल निवासियों को वो पहचान दे दी है, जिसके लिए वे 23 साल से इंतजार कर रहे थे। नवंबर 2001 को एक आदेश ने राज्य में मूल निवास प्रमाण पत्र बनाने बंद कर दिए थे। बाद के वर्षों में विभागों ने मूल निवास प्रमाण पत्र की अनदेखी शुरू कर दी थी। नौकरियों, सरकारी योजनाओं में पात्रता में मूल निवास प्रमाण पत्र का प्रावधान ही नहीं किया जाता था। सिर्फ स्थाई निवास प्रमाण पत्र का जिक्र किया जाता था। इसी आधार पर अफसर मूल निवास प्रमाण पत्र के स्थान स्थाई निवास प्रमाण पत्र की मांग करते रहे। इन तमाम किंतु परंतु पर बुधवार को सीएम पुष्कर सिंह धामी ने पूरी तरह विराम लगा दिया। ऐसा कर सरकार ने मूल निवासियों की पहचान बचाए रखने को मास्टर स्ट्रोक चल दिया है। राज्य के मूल निवासियों को उनकी पहचान सुनिश्चित करा दी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top