बलोच नेता ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से स्वतंत्र बलूच राष्ट्र को मान्यता देने की मांग की, भारत से भी समर्थन की अपील
बलूचिस्तान। पाकिस्तान, जो कश्मीर को लेकर भारत पर सवाल उठाता रहा है, अब खुद अपने भीतर गहराते संकटों से जूझ रहा है। बलूचिस्तान और सिंध में अलगाव की आवाजें तेज़ हो रही हैं। इसी बीच एक प्रमुख बलोच नेता मीर यार बलोच ने दावा किया है कि बलूचिस्तान अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं रहा और अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इसे स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता देने की अपील की है।
‘बलूच अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं’
बलोच नेता मीर यार बलोच ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बयान में कहा कि बलूचों ने अपना स्वतंत्र निर्णय ले लिया है और अब समय आ गया है कि दुनिया खामोश न रहे। उन्होंने भारत समेत वैश्विक समुदाय से बलूचिस्तान को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने की मांग की।
उन्होंने खास तौर पर भारतीय मीडिया, यूट्यूबर्स और विचारकों से आग्रह किया कि वे बलूचों को पाकिस्तान का नागरिक कहना बंद करें। उन्होंने भावुक अपील करते हुए कहा, “हम अपनी पहचान और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। कृपया हमारे साथ खड़े हों।”
‘आर्थिक सहायता का इस्तेमाल आतंकवाद में हुआ’
मीर यार बलोच ने पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय सहायता और ऋणों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 1947 से लेकर 2025 तक पाकिस्तान ने IMF, विश्व बैंक और पश्चिमी देशों से मिले अरबों डॉलर का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने में किया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि 9/11 के बाद अफगानिस्तान में अमेरिकी और नाटो सेनाओं पर हुए हमलों के पीछे भी यही फंडिंग थी।
‘अब चुप नहीं बैठ सकती दुनिया’
बलोच नेता ने कहा कि पाकिस्तान के कब्जे वाले बलूचिस्तान में जनता सड़कों पर है और उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि बलूचिस्तान अब पाकिस्तान का हिस्सा नहीं है। उन्होंने मांग की कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और महासभा को पाकिस्तान के आतंकी रवैये को देखते हुए आपात बैठक बुलानी चाहिए।
PoK को लेकर भारत का समर्थन
मीर यार बलोच ने भारत द्वारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को खाली कराने की मांग का समर्थन किया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय शक्तियों से आग्रह किया कि वे पाकिस्तान पर दबाव डालें कि वह इस क्षेत्र को खाली करे। उन्होंने 14 मई 2025 को भारत द्वारा दिए गए बयान का समर्थन करते हुए चेताया कि यदि पाकिस्तान ने चेतावनी नहीं मानी, तो उसे 1971 जैसी एक और शर्मनाक हार के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ, तो इसकी जिम्मेदारी केवल पाकिस्तानी सेना के वे लालची जनरल होंगे जो पीओके की जनता को ढाल बना रहे हैं।