देहरादून। प्रदेश में आगामी 2030 तक बिजली का संकट नहीं होगा। इसके लिए दिल्ली में केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण (सीईए) की बैठक हुई, जिसमें उत्तराखंड के लांग टर्म एनर्जी प्लान पर चर्चा हुई। इस बैठक में यूपीसीएल के अलावा पिटकुल और एसएलडीसी के अधिकारी भी शामिल हुए। राज्य में पिछले दो साल से बिजली की मांग के सापेक्ष उपलब्धता का आंकड़ा काफी नीचे जा रहा है। एक ओर जहां यूपीसीएल पर बाजार से बिजली खरीद का आर्थिक बोझ बढ़ रहा है तो दूसरी ओर उपभोक्ताओं को भी भरी गर्मी में कटौती से जूझना पड़ रहा है। इस साल भी हालात संभालने को केंद्र सरकार ने अपने गैर आवंटित कोटे से बिजली दी है।
चारधाम व पर्यटन के नजरिए से महत्वपूर्ण उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाएं लंबित हैं, जिनके पूरा होने में अभी कई साल का वक्त लग सकता है। लिहाजा, केंद्र सरकार ने उत्तराखंड का लंबी अवधि का ऊर्जा प्लान तैयार करने की कवायद शुरू की है। इसके लिए सीईए की एक टीम उत्तराखंड का पूर्व में दौरा कर चुकी है।
अब सोमवार को बैठक हुई, जिसमें यूपीसीएल के डायरेक्टर प्रोजेक्ट अजय अग्रवाल भी शामिल हुए। अग्रवाल ने बताया कि बैठक में आगामी सात साल में ऊर्जा की जरूरतों के अलावा विभिन्न माध्यमों से उपलब्ध होने वाली बिजली पर भी चर्चा हुई। केंद्र सरकार तय कर रही है कि जिस माह में राज्य को बिजली की अधिक जरूरत होगी, उसी हिसाब से उपलब्धता की कोशिश की जाएगी।