जम्मू। जी-20 की बैठक श्रीनगर में मई के तीसरे सप्ताह में होगी। इस बैठक में सदस्य देशों के अलावा 10 आमंत्रित तथा 19 अंतरराष्ट्रीय स्तर की संस्थाओं के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। बैठक दो दिन की होगी, लेकिन प्रतिनिधियों के लिए चार दिन का कार्यक्रम प्रस्तावित है। इसमें उन्हें अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर के विकास की सच्चाई भी दिखाने की कोशिश होगी। विभिन्न पर्यटन स्थलों के दौरे का कार्यक्रम भी प्रस्तावित है। दौरे की तैयारियां जोरों पर हैं। कश्मीर में जी-20 की बैठक पर आपत्ति जता चुके पाकिस्तान की दौरे पर पैनी निगाह रहेगी क्योंकि उसे अपनी पोल खुलने का डर सताता रहेगा।
अब पत्थरबाजी बंद हो गई है। हड़ताल भी बीते जमाने की बात हो गई है। पाकिस्तानी झंडे लहराने की घटनाएं नहीं होती हैं। अलगाववाद के कहीं भी सुर नहीं हैं। अब युवाओं के हाथों में पत्थर के बजाय कलम व लैपटॉप है। देर रात तक घाटी में आम जनजीवन गुलजार रहता है। रात्रिकालीन बस सेवा तक शुरू हो गई है। आतंक व भय का माहौल नहीं है। उद्योग धंधे आ रहे हैं। विदेशी निवेश का रास्ता भी खुला है। सऊदी अरब का अम्मार ग्रुप श्रीनगर का पहला मॉल बनाने की शुरूआत कर चुका है। जल्द ही दोनों राजधानी शहरों में आईटी टावर भी इसी कंपनी की ओर से बनाया जा रहा है। उन्हें गांव तक लोकतंत्र की बहाली का सच भी बताने की कोशिश होगी।
केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू के राष्ट्रीय सुरक्षा अध्ययन विभाग के डॉ. जे जगन्नाथन का कहना है कि यह जम्मू -कश्मीर ही नहीं बल्कि भारत के लिए बहुत बड़ा मौका है जब वैश्विक समुदाय को सच्चाई दिखाई जा सके। पाकिस्तान में निश्चित रूप से कश्मीर में बैठक को लेकर बौखलाहट होगी क्योंकि अब तक वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत व कश्मीर के खिलाफ दुष्प्रचार करता रहा है। अब उसे अपनी पोल खुलने का डर सता रहा है। इस वजह से वह पैंतरेबाजी कर सकता है। उसकी पूरी बैठक में पैनी निगाह रहेगी ताकि उसके खिलाफ माहौल न बनने पाए।