उत्तरकाशी। पुरोला में हिंदूवादी संगठनों की महापंचायत के विरोध में एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने पहले सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट के इनकार के बाद वह हाईकोर्ट पहुंचे। मामले में आज नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई हो सकती है। उधर, महापंचायत रोकने को प्रशासन ने पुरोला को छावनी में तब्दील कर दिया है। पुरोला तहसील क्षेत्र में धारा-144 लागू कर दी गई है। उत्तरकाशी जिले की सीमाएं सील हैं, ड्रोन से नजर रखी जा रही है। एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स के सदस्य अधिवक्ता शाहरुख आलम ने बुधवार को पुरोला में हिंदुवादी संगठनों की महापंचायत व संप्रदाय विशेष के लोगों को 15 जून तक शहर छोड़ने के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अवकाशकालीन पीठ ने याचिकाकर्ता को पहले हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट पर भरोसा करना चाहिए। पीठ ने कहा, ””हाईकोर्ट पर अविश्वास क्यों? उनका भी अधिकार क्षेत्र है। आपको कुछ भरोसा होना चाहिए। यह शॉर्ट सर्किटिंग क्यों? हम मेरिट या कारण पर नहीं हैं। आप प्रशासन पर अविश्वास क्यों करते हैं?’ जिसके बाद याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली। पीठ ने याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट में जाने की स्वतंत्रता दी। इसके बाद अधिवक्ता शाहरुख आलम ने दोपहर में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष महापंचायत पर रोक लगाने की प्रार्थना की। मुख्य न्यायाधीश ने इस याचिका को सुनने की मंजूरी देते हुए रजिस्ट्री में याचिका दायर करने के निर्देश दिए।
लेकिन देर शाम तक याचिका दायर नहीं हुई थी। बृहस्पतिवार की डेली कॉज लिस्ट में यह मामला सूचीबद्ध नहीं था। लेकिन इस पर आज सुनवाई हो सकती है। पुरोला में 15 जून की महापंचायत को लेकर तनाव है। जिला प्रशासन ने पूरी पुरोला तहसील क्षेत्र में 14 से 19 जून तक धारा-144 लागू कर दी है। शहर छावनी में तब्दील कर दिया गया है। एहतियातन पूरी यमुना घाटी में भी पुलिस बल तैनात कर दिया है। बुधवार को पुलिस ने पुरोला में फ्लैग मार्च भी किया। एसडीएम पुरोला देवानंद शर्मा ने इसकी पुष्टि की।