देहरादून। प्रदेश के आठ नगर निगमों और चार निकायों से कूड़े के पहाड़ (लीगेसी वेस्ट) हटाने को केंद्र से 75 करोड़ 63 लाख का बजट जारी हुआ है। शहरी विकास विभाग ने दो अन्य निकायों के लीगेसी वेस्ट हटाने को केंद्र को 2.66 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा है। दूसरी ओर, आरडीएफ वेस्ट के निपटारे के लिए शहरी विकास विभाग वेस्ट टू एनर्जी पॉलिसी में बदलाव करने जा रहा है। अमर उजाला ने विश्व पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में सिलसिलेवार कूड़े के पहाड़ों का मुद्दा उठाया था। नगर निगम ऋषिकेश, देहरादून, हल्द्वानी, हरिद्वार, रुड़की, काशीपुर, रुद्रपुर, कोटद्वार के क्षेत्रों में कूड़े के बड़े ढेर लगे हुए हैं। इनमें गाहे-बगाहे आग लगने के बाद जहरीला धुआं उठता है।
हल्द्वानी, दून सहित कई शहरों में इसको लेकर विरोध आंदोलन हुए। शहरी विकास विभाग ने इस कचरे को हटाने के लिए कवायद शुरू की। कुल 14 निकायों की डीपीआर स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत बनाकर केंद्र को भेजी गई थी। इनमें से 12 की डीपीआर मंजूर होने के बाद 75.63 करोड़ का बजट जारी हो चुका है। इस बजट से तेजी से लीगेसी वेस्ट का निस्तारण किया जा रहा है।
इन निकायों के लिए जारी हुए 72.08 करोड़
वर्षों से बने हुए कूड़े के पहाड़ में से बायो सॉइल और आरडीएफ वेस्ट को अलग-अलग किया जाता है। रिफ्यूज डेराइव्ड फ्यूल(आरडीएफ) वेस्ट को सोनीपत स्थित पांच मेगावाट के वेस्ट टू एनर्जी प्लांट में भेजा जाएगा। जहां इस आरडीएफ से बिजली बनेगी। चूंकि बायो वेस्ट पहले से ही जमीन में मिल चुका है। लिहाजा, इस बायो सॉइल का इस्तेमाल लैंडफीलिंग के काम में लाया जाएगा।