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गहराते जा रहे हैं दाग

भारतीय दवा उद्योग की छवि लगातार बिगड़ रही है। भारत दुनिया भर में सस्ती दवाओं का स्रोत रहा है। अगर साख पर उठते सवालों के जवाब जल्द नहीं ढूंढे गए, तो भारत की इस शान में बट्टा लग जाएगा। भारतीय दवा उद्योग गाम्बिया और उज्बेकिस्तान में भारत में बने कफ सिरफ के दुष्प्रभाव की खबरों से लगे झटके से अभी उबरा नहीं था। इसी बीच अमेरिका से चिंताजनक खबर आई कि अमेरिका में एक भारतीय आईड्रॉप से आठ लोगों की आंखों की रोशनी चली गई और तीन लोगों की जान जा चुकी है। यह दवा चेन्नई स्थित ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने एज्रीकेयर आर्टिफिशियल टीयर्स नाम के तहत बनाई थी।

अखबार द न्यूयॉर्क टाइम्स ने सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के हवाले से यह खबर दी। सीडीसी ने इस ड्रॉप में दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया होने की संभावना जताई है। सीडीसी चिंतित है कि भारत से आयातित आईड्रॉप्स में मिला दवा-प्रतिरोधी बैक्टीरिया अमेरिका में पैर जमा सकता है। यूएस फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा है कि संक्रमित आर्टिफिशियल टीयर्स के इस्तेमाल से आंखों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जिससे आंखों की रोशनी जा सकती है या मौत भी हो सकती है। स्यूडोमोनास एरुजिनोसा बैक्टीरिया खून, फेफड़ों या घावों में संक्रमण का कारण बन सकता है।

सीडीसी ने 21 मार्च को अपनी वेबसाइट पर लोगों को चेतावनी दी थी कि कोई भी रोगी जिसने एज्रीकेयर के आर्टिफिशियल टीयर्स का इस्तेमाल किया है और उनकी आंखों में संक्रमण के लक्षण हैं, तो उन्हें तत्काल मेडिकल देखभाल की जरूरत है। रिपोर्टों के मुताबिक ग्लोबल फार्मा हेल्थकेयर ने फरवरी में अमेरिकी बाजार के लिए आईड्रॉप्स का उत्पादन बंद कर दिया था। कंपनी ने उन दवाओं को भी वापस मंगा लिया था जिनकी एक्सपायरी खत्म नहीं हुई थी। इधर तमिलनाडु के ड्रग कंट्रोलर ने कहा है कि  ग्लोबल फार्मा के आईड्रॉप नमूनों में कोई विषाक्तता नहीं मिली है। इस स्थिति में यह सवाल प्रासंगिक हो जाता है कि सब ठीक है, तो आखिर इस कंपनी ने अमेरिका से अपनी दवाएं वापस क्यों मंगवाईं?बहरहाल, इस बहस से परे असल मुद्दा यह है कि भारतीय दवा उद्योग की छवि लगातार बिगड़ रही है। भारत दुनिया भर में सस्ती दवाओं का स्रोत रहा है। अगर साख पर उठते सवालों के जवाब जल्द नहीं ढूंढे गए, तो भारत की इस शान में बट्टा लग जाएगा।

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