Breaking News
घर से निकाले बुजुर्गों को मिली राहत, डीएम कोर्ट ने रद्द की गिफ्ट डीड
जयराम रमेश का केंद्र सरकार पर तीखा हमला, कहा- पीएम मोदी ट्रंप के दावे पर चुप क्यों?
अहान पांडे और अनीत पड्डा की डेब्यू फिल्म ‘सैयारा’ ने पहले दिन ही मचाया धमाल, कमाए इतने करोड़ रुपये
महाराज ने केन्द्रीय मंत्री से ऐतिहासिक स्थलों पर शोध का किया अनुरोध
जजरेट स्लाइड जोन को डीएम की स्पेशल स्वीकृति, आपदा एक्ट के तहत तुरंत कार्य शुरू करने के दिए निर्देश
मुख्यमंत्री धामी ने नानकमत्ता साहिब में टेका मत्था
जिला पंचायत चुनाव प्रचार में उतरी कैबिनेट मंत्री रेखा आर्या
‘महिला आगे बढ़ेगी, तो समाज आगे बढ़ेगा’ – मोहन भागवत
मानसून में बाल झड़ने से हैं परेशान? तो अपनाएं ये आसान घरेलू उपाय, मिलेगा फायदा

उत्तराखंड में महिलाओं को 30 प्रतिशत आरक्षण विधेयक के लिए मिली राजभवन से मंजूरी

देहरादून। उत्तराखंड की महिलाओं के आरक्षण विधेयक को मंगलवार को राज्यपाल की मंजूरी मिल गई है। राजभवन की मंजूरी के साथ ही महिला अभ्यर्थियों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का कानूनी अधिकार भी मिल गया है।

राज्य सरकार ने 30 नवंबर 2022 को विधानसभा में बिल को सर्वसम्मति पारित कराकर राजभवन भेजा था। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में पारित 14  बिलों, जिनमें अधिकतर संशोधित विधेयक थे, के साथ महिला आरक्षण बिल को भी राज्यपाल की मंजूरी  मिलनी थी।

राजभवन से ज्यादातर विधेयकों को मंजूरी  मिल गई, लेकिन महिला क्षैतिज आरक्षण बिल विचाराधीन रहा। राजभवन ने विधेयक को मंजूरी देने से पहले इसका न्याय और विधि विशेषज्ञों से परीक्षण कराया। इस कारण विधेयक को मंजूरी मिलने में एक महीने का समय लग गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पिछले दिनों महिला क्षैतिज आरक्षण कानून के जल्द लागू होने के संकेत दिए थे। राजभवन के सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल की मंजूरी के साथ विधेयक विधायी विभाग को भेज दिया गया है।

महिला क्षैतिज आरक्षण को लेकर कब क्या हुआ

18 जुलाई 2001 को अंतरिम सरकार ने 20 प्रतिशत आरक्षण का शासनादेश जारी किया।

24 जुलाई 2006 को तत्कालीन तिवारी सरकार ने इसे 20 से बढ़ाकर 30 प्रतिशत किया।

26 अगस्त 2022 को हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आरक्षण के शासनादेश पर रोक लगाई।

04 नवंबर 2022 को सरकार की  एसएलपी पर सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी ।

29 नवंबर 2022 को सरकार ने विधानसभा के सदन में विधेयक पेश किया।

30 नवंबर 2022 को सरकार ने विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कराकर राजभवन भेजा।

10 जनवरी 2022 को  राज्यपाल ने विधेयक को मंजूरी दे दी।

राज्य सरकार की नौकरियों में उत्तराखंड की महिलाओं को 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिए कांग्रेस की नारायण दत्त तिवारी सरकार ने 24 जुलाई 2006 को आदेश जारी किया था। याचिकाकर्ताओं ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर हाईकोर्ट ने  आदेश पर रोक लगा दी थी। याचिकाकर्ताओं के वकील की ओर से कहा गया था राज्य सरकार के पास राज्य के निवास स्थान पर आधारित आरक्षण प्रदान करने की शक्ति नहीं है। भारत का संविधान केवल संसद को अधिवास के आधार पर आरक्षण देने की अनुमति देता है। राज्य सरकार का वर्ष 2006 का आदेश संविधान के अनुच्छेद 14, 16, 19 और 21 का उल्लंघन है।   राजभवन को 14 विधेयक मंजूरी के लिए भेजे गए थे। इनमें से महिला आरक्षण समेत 12 को मंजूरी मिल गई है। जबकि भारतीय स्टांप उत्तराखंड संशोधन विधेयक और हरिद्वार विश्वविद्यालय विधेयक को राजभवन से अभी मंजूरी नहीं मिली है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top