हल्द्वानी। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में नए सत्र से पढ़ाई महंगी होने वाली है। ऐसे में बीए, बीएससी और बीकाम में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं को पांच प्रतिशत तक अधिक फीस देनी पड़ सकती है। विवि प्रशासन ने स्नातक स्तर में शुल्क वृद्धि की कवायद शुरू कर दी है। हालांकि, इस फैसले पर विवि की अकादमिक परिषद (एसी) और कार्य परिषद (ईसी) की मुहर लगनी शेष है। अभी तक यूओयू प्रत्येक पांच साल में विभिन्न पाठ्यक्रमों की फीस बढ़ाता था।
पिछले साल ही विवि ने कोर्सों की फीस पांच सौ रुपये तक बढ़ाई थी। लेकिन अब एक साल बाद फिर शुल्क में वृद्धि की तैयारी है। यूओयू प्रशासन के अनुसार, नए सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू की जानी है। स्नातक स्तर (यूजी) से एनईपी लागू होगी। ऐसे में विषय की सामान्य किताबों के साथ कौशल विकास, वोकेशनल आदि पाठ्यक्रमों से जुड़ी अध्ययन सामग्री और प्रयोगात्मक कार्य होने हैं। साथ ही यूजी स्तर से अब सेमेस्टर प्रणाली भी लागू हो जाएगी। ऐसे में स्नातक से शुल्क बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। विवि सूत्रों के अनुसार 500 रुपये तक स्नातक डिग्री पाठ्यक्रमों की फीस बढ़ सकती है।
यूओयू में बीए, बीएससी और बीकाम की पढ़ाई अभी तक वार्षिक प्रणाली के अनुसार होती है। ऐसे में विद्यार्थियों को प्रत्येक वर्ष छह किताबें पढ़नी होती थीं। लेकिन नए सत्र में एनईपी लागू होने के साथ यूजी में सेमेस्टर प्रणाली लागू होगी तो विद्यार्थियों को अब हर छह माह में परीक्षा देनी होगी और उसी के अनुसार पाठ्यक्रम में भी बदलाव होगा। ऐसे में विद्यार्थी को स्ट्रीम के विषयों के साथ पांच अतिरिक्त विषयों को अध्ययन करना होगा। एक सेमेस्टर में तीन सामान्य विषय और पांच अतिरिक्त विषयों को पढ़ना होगा। ऐसे में एक सेमेस्टर में आठ किताब पढ़ने का बोझ होगा।
विवि के अनुसार, यूजी प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को नए पंजीकरण के समय प्रवेश शुल्क, शिक्षण शुल्क, पुस्तक शुल्क और प्रथम सेमेस्टर के परीक्षा शुल्क सहित अन्य शुल्क देने होंगे, जबकि अगले सेमेस्टर की परीक्षा के लिए सेमेस्टर प्रारंभ होने के साथ शुल्क देना होगा। हालांकि, किताबों के लिए एक साल में एक बार ही शुल्क देना होगा। यूओयू में अध्ययनरत विद्यार्थियों को वार्षिक प्रणाली के अनुसार पढ़ाई करने में समय पर किताबें नहीं मिल पाती हैं। विद्यार्थी बार-बार इस बात को लेकर शिकायत करते हैं।
लेकिन अब सेमेस्टर लागू किया जा रहा है। ऐसे में हर छह माह में विद्यार्थियों को किताबें देनी होंगी। ऐसे में यूओयू प्रशासन के लिए चुनौती के साथ बढ़ा सवाल भी है कि समय पर किताबें छात्रों तक कैसे पहुंच पाएंगी। नए सत्र से एनईपी लागू करने की तैयार लगभग पूरी हो गई है। पाठ्यक्रम भी तैयार है। अब अकादमिक परिषद और कार्य परिषद की मुहर लगनी शेष है। शुल्क बढ़ाने का प्रस्ताव है। हालांकि, एसी और ईसी की मंजूरी के बाद लागू होगा।