नई दिल्ली। केंद्र ने कहा है कि मार्च से सभी राज्यों और जिलों में राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनपीसीएचएच) के तहत गर्मी से संबंधित बीमारियों की दैनिक निगरानी एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफॉर्म (आईएचआईपी) पर की जाएगी। यह कदम तापमान में वृद्धि को देखते हुए उठाया गया है, जो पहले से ही देश में कुछ स्थानों पर असामान्य रूप से बढ़ा है।
राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य सचिव को लिखे पत्र में, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने उनसे यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि सभी स्वास्थ्य सुविधाएं मौजूदा पी-फॉर्म स्तर की लॉगिन जानकारी का उपयोग करके भाग लें और निर्धारित प्रारूप के अनुसार मामलों और मौतों की सूची जारी करें।
भूषण ने पत्र में कहा, मैं आपका ध्यान ‘गर्मी से संबंधित बीमारियों पर राष्ट्रीय कार्य योजना’ की ओर आकर्षित करता हूं और आपसे अनुरोध करता हूं कि आप अपने राज्य के सभी जिलों में स्वास्थ्य विभाग और स्वास्थ्य सुविधाओं की प्रभावी तैयारी के लिए गर्मी के प्रभाव और इसके कारण उत्पन्न होने वाले मामलों के प्रबंधन के लिए इस मार्गदर्शन दस्तावेज का प्रसार करें। उन्होंने प्रतिक्रिया देने वाली एजेंसियों के साथ गर्मी से संबंधित स्वास्थ्य कार्य योजनाओं के कार्यान्वयन और योजना, प्रबंधन और गर्मी की प्रतिक्रिया का आकलन करने में सहायता सुनिश्चित करने के लिए कहा है।
पत्र में लिखा है, राज्य के स्वास्थ्य विभागों को चिकित्सा अधिकारियों, स्वास्थ्य कर्मचारियों, जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को गर्मी से होने वाली बीमारी, इसकी शीघ्र पहचान और प्रबंधन के प्रति संवेदनशील बनाने और क्षमता निर्माण के प्रयासों को जारी रखना चाहिए। इन विषयों पर एनसीडीसी द्वारा विकसित प्रशिक्षण नियमावली उपलब्ध है और इस तरह के प्रशिक्षण के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
मंत्रालय ने आवश्यक दवाएं, अंत:शिरा तरल पदार्थ, आइस पैक, ओआरएस और सभी आवश्यक उपकरण सुनिश्चित करने को भी कहा है। स्वास्थ्य सुविधाओं को शीतलन उपकरणों के निरंतर संचालन के लिए निर्बाध बिजली की व्यवस्था करने की आवश्यकता है।