Breaking News
स्थानीय युवाओं को रोजगार देगी छप्पन करोड की सतपुली झील- महाराज
खटीमा जीते तो यहां के विकास की जिम्मेदारी मेरी – सीएम धामी
क्या आप जानते हैं कि सेब खाने के साथ इसकी चाय भी पी सकते हैं, आइए जानते हैं इससे मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ
ट्रिपल इंजन की सरकार बनने पर तीन गुना होगी विकास की रफ्तार
महाकुंभ – ओपन फ्री ऑफ कास्ट रेस्टोरेंट’ में 1 करोड़ लोगों को मिलेगा मुफ्त भोजन
एमडीडीए वीसी बंशीधर तिवारी की अनूठी पहल
युवा पीढ़ी अपनी सभ्यता के साथ गर्व से जुड़ जाती है तो उसकी सभ्यतागत जड़े और मजबूत होती है- प्रधानमंत्री मोदी
बिग बॉस 18- आइए शो के ग्रैंड फिनाले से पहले आपको बताते हैं इस सीजन की बड़ी कॉन्ट्रोवर्सी के बारे में
धारचूला और मुनस्यारी में खेल मंत्री रेखा आर्या ने किया प्रचार

राम होने का मतलब क्या है

पढ़िए सर्वेश कुमार तिवारी की यह पोस्ट

मैंने अपने शहर को इतना विह्वल कभी नहीं देखा! तीन से चार लाख लोग सड़क किनारे हाथ जोड़े खड़े हैं।
अयोध्या में प्रभु की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल से शालिग्राम पत्थर जा रहा है, और आज वह ट्रक गोपालगंज से गुजर रहा है। कोई प्रचार नहीं, कोई बुलाहट नहीं, पर सारे लोग निकल आये हैं सड़क पर… युवक, बूढ़े, बच्चे… बूढ़ी स्त्रियां, घूंघट ओढ़े खड़ी दुल्हनें, बच्चियां…

स्त्रियां हाथ में जल अक्षत ले कर सुबह से खड़ी हैं सड़क किनारे! ट्रक सामने आता है तो विह्वल हो कर दौड़ पड़ती हैं उसके आगे… छलछलाई आंखों से निहार रही हैं उस पत्थर को, जिसे राम होना है। बूढ़ी महिलाएं, जो शायद शालिग्राम पत्थर के राम-लखन बनने के बाद नहीं देख सकेंगी। वे निहार लेना चाहती हैं अपने राम को… निर्जीव पत्थर में भी अपने आराध्य को देख लेने की शक्ति पाने के लिए किसी सभ्यता को आध्यात्म का उच्चतम स्तर छूना पड़ता है। हमारी इन माताओं, बहनों, भाइयों को यह सहज ही मिल गया है।

जो लड़कियां अपने वस्त्रों के कारण हमें संस्कार हीन लगती हैं, वे हाथ जोड़े खड़ी हैं। उदण्ड कहे जाने वाले लड़के उत्साह में हैं, इधर से उधर दौड़ रहे हैं। मैं भी उन्ही के साथ दौड़ रहा हूँ। इस भीड़ की कोई जाति नहीं है। लोग भूल गए हैं अमीर गरीब का भेद, लोग भूल गए अपनी जाति- गोत्र! उन्हें बस इतना याद है कि उनके गाँव से होकर उनके राम जा रहे हैं।

हमारे यहाँ कहते हैं कि सिया को बियह के रामजी इसी राह से गये थे। डुमरिया में उन्होंने नदी पार की थी। हम सौभाग्यशाली लोग हैं जो रामजी को दुबारा जाते देख रहे हैं। पाँच सौ वर्ष की प्रतीक्षा और असँख्य पीढ़ियों की तपस्या ने हमें यह सौभाग्य दिया है। हम जी लेना चाहते हैं इस पल को… हम पा लेना चाहते हैं यह आनन्द! माझा से लेकर गोपालगंज तक, मैं इस यात्रा में दस किलोमीटर तक चला हूँ, दोनों ओर लगातार भीड़ है।

कोई नेता, कोई संत, कोई विचारधारा इतनी भीड़ इकट्ठा नहीं कर सकती, यह उत्साह पैदा नहीं कर सकती। सबको जोड़ देने की यह शक्ति केवल और केवल धर्म में है, मेरे राम जी में है।

गोपालगंज में कुछ देर का हॉल्ट है। साथ चल रहे लोगों के भोजन की व्यवस्था है, सो घण्टे भर के लिए ट्रक रुक गया है। लोग इसी समय आगे बढ़ कर पत्थर को छू लेना चाहते हैं। मैं भी भीड़ में घुसा हूँ, आधे घण्टे की ठेलमठेल के बाद ठाकुरजी को स्पर्श करने का सुख… अहा!कुछ अनुभव लिखे नहीं जा सकते।

उसी समय ऊपर खड़ा स्वयंसेवक शालिग्राम पर चढ़ाई गयी माला प्रसाद स्वरूप फेंकता है। संयोग से माला मेरे हाथ में आ गिरती है। मैं प्रसन्न हो कर अंजुरी में माला लिए भीड़ से बाहर निकलता हूँ। पर यह क्या, किनारे खड़ी स्त्रियां हाथ पसार रही हैं मेरे आगे… भइया एक फूल दे दीजिये, बाबू एक फूल दे दीजिये। अच्छे अच्छे सम्पन्न घरों की देवियाँ हाथ पसार रही हैं मेरे आगे! यह रामजी का प्रभाव है।

मैं सबको एक एक फूल देते निकल रहा हूँ। फिर भी कुछ बच गए हैं मेरे पास! ये फूल मेरा सौभाग्य हैं…
कुछ लोग समझ रहे हैं कि एक सौ तीस रुपये में खरीद कर रामचरितमानस की प्रति जला वे हमारी आस्था को चोटिल कर देंगे। उन मूर्खों को कुछ नहीं मालूम… यह भीड़ गवाही दे रही है कि राम जी का यह देश अजर अमर है, यह सभ्यता अजर अमर है, राम अजर अमर हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top