Breaking News
प्रदेश में औषधीय गुणों से भरपूर शहद के उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा रहा है – मुख्यमंत्री धामी 
मुख्य सचिव ने बीएसएनएल को 4जी सेचुरेशन स्कीम का कार्य समयसीमा पर पूर्ण करने के दिए निर्देश
मैं देशवासियों को नमन करता हूं जिनकी वजह से महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ – पीएम मोदी 
मुख्यमंत्री धामी ने कलस्टर विद्यालयों में परिवहन सुविधा के लिए 15 बसों का किया फ्लैग ऑफ
अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर को लेकर स्पेसएक्स का कैप्सूल धरती के लिए हुआ रवाना
क्या आपको भी रहती है भूख न लगने की समस्या, तो इन योगासनों का करें अभ्यास, मिलेगा फायदा 
उत्तराखंड की धामी सरकार की तबादला एक्सप्रेस ने फिर पकड़ी रफ्तार
महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र को लेकर हुई हिंसा, कई इलाकों में अनिश्चितकाल के लिए लगाया कर्फ्यू
सरकारी अधिसूचनाओं में विक्रम संवत एवं हिन्दू माह का होगा उल्लेख- मुख्यमंत्री धामी

अर्थव्यवस्था में क्या सुधार हो रहा है?

भारत में अर्थव्यवस्था को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा में रहने वाले कुछ मानकों पर भारत की स्थिति सुधर रही है। हालांकि इसे भारतीय अर्थव्यवस्था का टर्नअराउंड नहीं कहा जा सकता है लेकिन जिन बातों को लेकर सरकार आलोचना के घेरे में थी, उनमें से ज्यादातर में सुधार दिख रह है। सबसे बड़ा सुधार महंगाई के मोर्चे पर हुआ है। फल, सब्जियों और खाने पीने की चीजों के दाम कम होने से खुदरा और थोक महंगाई दर दोनों में कमी आई है। थोक महंगाई करीब एक साल के सबसे निचले स्तर पर है तो खुदरा महंगाई भी इस वित्त वर्ष में पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक की ओर से तय छह फीसदी की अधिकतम सीमा के नीचे पहुंची है। थोक और खुदरा महंगाई दोनों छह फीसदी से नीचे आ गए हैं।

सरकार की दूसरी आलोचना विदेशी मुद्रा भंडार में कमी आने को लेकर हो रही थी। इस साल के शुरू में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 633 अरब डॉलर था, जिससे घट कर 531 अरब डॉलर तक आ गया था। यानी एक सौ अरब डॉलर से ज्यादा की कमी आई थी। पर अब धीरे धीरे इसमें बढ़ोतरी हो रही है। पिछले लगातार पांच हफ्ते से इसमें बढ़ोतरी हुई है और पिछले हफ्ते यह बढ़ कर 561 अरब डॉलर पहुंच गया। रिजर्व बैंक रुपए की कीमत नियंत्रित करने के लिए अपने रिजर्व से डॉलर निकाल रही थी। अब यह ट्रेंड उलट गया और फिर भी रुपए की कीमत लगभग स्थिर है। यह आलोचना का तीसरा बिंदु था। हालांकि अब भी एक डॉलर की कीमत 82 रुपए से ऊपर है लेकिन नवंबर में जब इसकी कीमत 83 से ऊपर गई थी तो इसके 85 से ऊपर जाने की बात हो रही थी, जो अब थम गई है। विदेशी संस्थागत निवेशकों के शेयर बाजार से निकलने का ट्रेंड भी अब थम गया है और उन्होंने फिर निवेश शुरू किया है। अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती के अनुमान के बाद यह ट्रेंड बदलता दिख रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top