Breaking News
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरबंश कपूर मेमोरियल कम्युनिटी हॉल का किया उद्घाटन
गर्मियों में क्यों बढ़ जाता है यूटीआई का खतरा? आइये जानते हैं क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ
बलूचिस्तान में बीएलए का हिंसक अभियान, सुरक्षा एजेंसियों पर किये ताबड़तोड़ हमले
मलिन बस्तियों के पुनर्वास को लेकर जिलाधिकारी ने दिए सख्त निर्देश
IAS, PCS और सचिवालय सेवा में फेरबदल, राज्य सरकार ने जारी किए आदेश
सीजफायर के बावजूद पाकिस्तान की नापाक हरकत, शशि थरूर ने शायरी में सुनाई खरी-खोटी
राजभवन में सर्वधर्म गोष्ठी, धर्मों की सीमाओं से ऊपर उठकर एकता का संदेश
दबाव और बातचीत के बाद भारत-पाक युद्धविराम पर राज़ी
चारधाम यात्रा सुचारु, अफवाहों पर न दें ध्यान- आईजी गढ़वाल

बिजली चोरी या फिर अवैध निर्माण जवाबदेही तय हो

रोहित कौशिक
इस समय उत्तर प्रदेश में कई जगहों पर बिजली विभाग किसी भी रूप से बिजली चोरी करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। अतिक्रमण करने और अवैध कब्जा करने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई कर अवैध कब्जों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है। निश्चित रूप से समाज में संदेश जाना चाहिए कि जो भी गलत काम करेगा उस पर कार्रवाई की जाएगी। ऐसा संदेश जाएगा तो लोग अवैध काम करने से डरेंगे और बेहतर व्यवस्था और अच्छा समाज बनाने में मदद मिलेगी। लेकिन क्या ऐसी कार्रवाई करने की बात इतनी सरल है?

अनेक लोग इस तरह की कार्रवाई को गलत बता रहेैहैं। कुछ लोगों का आरोप है कि राजनीतिक द्वेष के कारण भी इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। सवाल यह है कि क्या नियमित रूप से इस तरह की कार्रवाई की जाती है? क्या नियमित रूप से देखा जाता है कि कहां बिजली चोरी हो रही है, और कहां लोगों ने अवैध रूप से मकान बनाए हुए हैं, या कब्जे किए हुए हैं? हो सकता है कि अपवाद के तौर पर कहीं ऐसा होता हो लेकिन सामान्य तौर पर ऐसा नहीं होता। ज्यादातर मामलों में इस तरह की कार्रवाई किसी शिकायत या फिर अन्य कारणों से होती है।

सवाल है कि सामान्य तौर पर ऐसी कार्रवाई क्यों नहीं होती? सामान्य तौर पर संबंधित कर्मचारी और अधिकारी क्या कर रहे होते हैं? कई मामलों में कर्मचारी और अधिकारी रित लेकर चुप हो जाते हैं, और अवैध काम की तरफ से मुंह मोड़ लेते हैं।  निश्चित रूप से भारत लगातार विकास की राह पर अग्रसर है लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि देश में रित का खात्मा  नहीं हो सका है। भरे बाजार में बिना नक्शा पास हुए बड़ी-बड़ी बिल्डिंग कैसे बन जाती हैं? किसी सुनसान जगह पर ऐसी बिल्डिंग बने तो बात समझ में आती है कि उस बिल्डिंग पर किसी अधिकारी की नजर नहीं पड़ी होगी। लेकिन ऐसे मुख्य बाजार और ऐसी मुख्य सडक़, जहां से अधिकारी रोज गुजरते हैं, पर भी अवैध निर्माण धड़ल्ले से होते हैं।

समझ से परे है कि ऐसे निर्माण पर अधिकारियों का ध्यान क्यों नहीं जाता। जब ऐसी अवैध इमारतों में कोई हादसा हो जाता है, या इनकी शिकायत की जाती है तो अधिकारी तुरंत हरकत में जा जाते हैं। विपक्ष से जुड़े नेता की बिल्डिंग पर कार्रवाई होने में देर नहीं लगती। इसका सीधा सा अर्थ है कि संबंधित विभाग के कर्मचारी और अधिकारी जानबूझ कर अवैध निर्माण को प्रश्रय देते हैं, और जब अवैध निर्माण हो जाते हैं तो उन्हें ध्वस्त करने का डर दिखा कर उगाही की जाती है। आम तौर पर अवैध इमारतों के मालिकों को पहले नोटिस दिया जाता है। नोटिस देने के बाद ही अवैध निर्माण  को ध्वस्त किया जाता है।

लेकिन अक्सर नोटिस देने की प्रक्रिया में भी धांधली होती देखी गई है। कई लोगों ने आरोप लगाए हैं कि इमारत गिराने से पहले उन्हें नोटिस नहीं दिया गया। किसी भी रूप से बिजली की चोरी की जाएगी या फिर अवैध निर्माण किए जाएंगे तो इसका असर समाज और अंतत: देश पर ही पड़ेगा। ज्यों-ज्यों देश विकसित हो रहा है, त्यों-त्यों देश में बिजली की खपत भी बढ़ रही है। हालांकि पहले की अपेक्षा देश में बिजली उत्पादन बढ़ा है, लेकिन किसी भी तरह से बिजली चोरी होती है तो इसका असर बिजली की कुल क्षमता पर पड़ता है। भले सरकार बिजली निर्माण के लिए कितने भी नये बिजलीघर लगा ले लेकिन बड़े पैमाने पर हो रही बिजली चोरी नहीं रोकी गई तो इन बिजलीघरों का पूरा लाभ देश को नहीं मिल पाएगा। ऐसा नहीं है कि गरीबी के कारण ही लोग बिजली चोरी करते हैं, बड़ी-बड़ी औद्योगिक इकाइयां भी बिजली चोरी करती पकड़ी जाती हैं।

पहले से ज्यादा शिक्षित समाज के कुछ लोगों को अवैध काम करने में न ही शर्म आती है, और न किसी तरह का डर होता है। अवैध काम करने के पीछे सारा दोष हमारी मानसिकता का है। इसी मानसिकता के चलते पहले हम गलत काम करते हैं, और बाद में रित देकर गलत काम को वैधता प्रदान करने की कोशिश करते हैं। कोढ़ में खाज यह कि प्रशासन और संबंधित कार्यालय पहले हाथ पर हाथ रख कर बैठा रहता है, और बाद में खुद को ईमानदार साबित करने की कोशिश करता है।

यही कारण है कि इस सारी व्यवस्था में दोनों पक्ष यानी जिन पर कार्रवाई होती है, और जो कार्रवाई करते हैं, कहीं न कहीं भ्रष्टाचार के सागर में गोते लगाते नजर आते हैं। दुर्भाग्यपूर्ण यह कि बिजली चोरी  और अवैध निर्माण करने वालों पर तो कार्रवाई हो जाती है, लेकिन संबंधित विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती। बेहतर तो यह होगा कि ऐसे मामलों में विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की भी जवाबदेही तय हो। उनसे पूछा जाए कि जब इस तरह के अवैध काम हो रहे थे तो वे कहां थे। निश्चित रूप से इस प्रक्रिया से एक बेहतर व्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back To Top