दिल्ली। जल्द ही झीलों का शहर के नाम से जाना जाएगा। दिल्ली सरकार के निर्देश पर दिल्ली जल बोर्ड 56 झील बनाने में जुटा हुआ है और 35 बना चुका है। हालांकि, उसके समक्ष 12 झीलों को विकसित करने में दिक्कतें हैं। नौ झीलों को विकसित करने का कार्य चल रहा है। इसके अलावा 380 वॉटर बॉडी भी बनाई जा रही है। झील विकसित करने पर करीब 93 करोड़ व्यय होने का अनुमान है। दिल्ली में पीने के पानी की किल्लत है और वह पानी के मामले में दूसरे राज्यों पर निर्भर है। वहां से पर्याप्त पानी नहीं मिलने की स्थिति में दिल्ली जल बोर्ड को भूजल का दोहन करना पड़ रहा है। इस कारण कई जगहों पर पानी का स्तर काफी नीचे चला गया है और पानी की बहुत कमी हो गई है और भूजल की गुणवत्ता भी सही नहीं रही है। इस समस्या के समाधान के लिए बारिश के पानी का उपयोग करने की योजना पर कार्य शुरू किया है। इसके लिए प्राकृतिक और कृत्रिम झील विकसित की जा रही है। इससे भूजल के स्तर व गुणवत्ता में सुधार करके उसे उपयोग किया जा सकेगा।
दूसरी ओर दिल्ली जल बोर्ड ने झील विकसित करके उसमें सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के पानी को 10 में से 10 शुद्धता तक साफ करके इसे झीलों में डालने की शुरूआत की है। इस मामले में कृत्रिम झील काफी फायदेमंद साबित हो रही है। इन झीलों के अंदर ट्रीटेड पानी डालने से उनके आसपास के आधे किलोमीटर के क्षेत्र में भूजल का स्तर बढ़ा है। कई जगह भूजल स्तर 6.25 मीटर बढ़ गया है, जबकि ऐसे क्षेत्रों का भूजल स्तर 20 मीटर नीचे चला गया था। ऐसे क्षेत्रों में जल्द ही में ट्यूबवेल और आरओ मशीन लगाई जाएंगी। ट्यूबवेल से भूजल निकाल कर उसे आरओ से ट्रीट किया जाएगा, जिसे यूजीआर में इकट्ठा किया जाएगा और इस पानी को पीने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा दिल्ली सरकार 380 छोटी वाटर बॉडीज को ठीक करने की दिशा में कार्य शुरू किया और वह 35 छोटी वाटर बॉडीज सही कर चुकी है।