– सख्त नकलरोधी कानून लागू होने से विपक्षियों के मंसूबे फेल
– युवाओं के कंधे पर रखकर सीएम धामी पर बंदूक चलाने की फिराक में थे विपक्षी
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में भर्ती परीक्षाओ में नकल को रोकने के लिए सख्त नकलरोधी कानून को लागू करवा दिया है। यह उनका मास्टर स्ट्रोक कहा जा सकता है। युवा बेरोजगारों पर लाठीचार्ज के बाद प्रदेश में युवा उबाल पर थे और विपक्षी इस मुद्दे को लपकने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे थे, लेकिन सीएम धामी के इस पलटवार ने विपक्षियों के अरमान ठंडे कर दिये। मुख्यमंत्री धामी के इस त्वरित कदम की सराहना हो रही है।
राजनीतिक दलों में छटपटाहट है कि 10 वर्षों से नकल सिंडीकेट राज्य में सक्रिय है और उनकी सरकार मैं यह फल-फूल रहा है यह लोग कोई ठोस कानून बना नहीं पाए और धामी लगातार धुआंधार बैटिंग कर रहे हैं अगर सख्त विरोधी कानून इस राज्य में लागू हो गया तो पुष्कर सिंह धामी हमेशा के लिए अमर हो जाएगा जो ना सिर्फ विपक्षी पार्टियों बल्कि उनके संगठन में भी धामी का कद हमेशा के लिए बड़ा कर देगा जैसे सरकारी नौकरियों में महिला आरक्षण विधायक का आना एकाएक उत्तराखंड के हित में जिस तरह से बेहतर कानून धामी ला रहे हैं उत्तराखंड हिमाचल की तर्ज पर चल पड़ा है जैसे हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री परमार का नाम हमेशा हिमाचल को आगे बढ़ाने में लिया जाता है वैसे ही पुष्कर सिंह धामी का नाम हमेशा के लिए दर्ज हो जाएगा और बेहतरीन व्यवस्था और कानून के लिए पुष्कर सिंह धामी को याद किया जाता रहेगा। बेरोजगार संघ की सभी मांगों पर गंभीरता से विचार करने के बाद राज्य सरकार ने फैसला किया है कि पटवारी भर्ती पेपर लीक की एसआईटी जांच हाईकोर्ट के जज की निगरानी में कराई जाएगी।
उधर, राज्यपाल ले.ज. गुरमीत सिंह (सेनि.) ने नकलरोधी कानून के अध्यादेश को मंजूरी दे दी है। इसी के साथ यह कानून पूरे प्रदेश में लागू हो गया। 12 फरवरी को होने जा रही पटवारी-लेखपाल परीक्षा व अन्य सभी भर्ती परीक्षाएं नए कानून के तहत ही आयोजित होंगी। देर शाम सरकार ने जारी बयान में कहा कि बेरोजगार संघ की मांगों पर सहमति बन गई है। सरकार ने कहा सीबीआई जांच की मांग को उत्तराखंड हाईकोर्ट अस्वीकार कर चुका है। हाईकोर्ट कह चुका है कि जांच सही दिशा में चल रही है, इसलिए इस प्रकरण की सीबीआई जांच नहीं कराई जा सकती। कहा गया कि आंदोलनकारी युवाओं की मांग थी कि पटवारी भर्ती का प्रश्नपत्र बदला जाए। आयोग पहले ही पुराने प्रश्नपत्र रद्द कर नए प्रश्नपत्र तैयार कर चुका है। नकलरोधी कानून भी लागू हो गया है और परीक्षा नियंत्रक को भी हटाया जा चुका है। इसलिए अब आंदोलन का कोई औचित्य नहीं।