सतीश सिंह
आजादी के 75 सालों में सोने की कीमत आसमान पर पहुंच गई है। भारत जब आजाद हुआ था, तब 10 ग्राम सोने की कीमत 88.62 रु पये थी और 1964 में इसकी कीमत कम होकर 63.25 रुपये के स्तर पर पहुंच गई थी।
इस तरह, सोने की कीमत 75 सालों में चंद रु पयों से आगे बढ़ते हुए 50 हजार रुपये से भी अधिक के स्तर पर पहुंच गई है। आज 10 ग्राम सोने की कीमत 58 हजार रुपये है। आजादी के समय दिल्ली से मुंबई के हवाई मार्ग के किफायती वर्ग का किराया 140 रुपये था, जो उस समय के 10 ग्राम सोने की कीमत से लगभग दोगुना था। आज इस स्थिति में आमूलचूल बदलाव आ गया है, और हवाई जहाज का किराया 10 ग्राम सोने की कीमत से कई गुणा कम हो गया है।
भारत में सोना इतना ज्यादा सोणा इसलिए है क्योंकि भारतीय महिलाएं सोने के प्रति दीवानी हैं। यह दीवानगी अनादिकाल से है। प्राचीनकाल में तो पुरु ष भी सोने के गहने पहना करते थे। इसके प्रमाण हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो काल के अवशेषों में मिले हैं। मई, 2022 में हड़प्पाकालीन राखीगढ़ी में खुदाई में सोने के कड़े, बाली आदि आभूषण मिले थे, जिन्हें पुरुष पहना करते थे। खुदाई में स्त्रियों द्वारा पहनी जाने वाली चूडिय़ां, हार, अंगूठी, झुमके आदि भी मिले हैं। स्त्री और पुरु ष द्वारा पहने जाने वाले गहनों के खुदाई में मिलने से साबित होता है कि सोने के गहनों को लेकर भारतीय सदियों से आसक्त रहे हैं। भारतीयों के रहन-सहन, सभ्यता-संस्कृति आदि में सोना इस तरह रचा-बसा है कि इसके बिना उनका जीवन अधूरा है। भारतीय स्त्रियों के लिए सोना उनके लिए सिर्फ गहना नहीं है, बल्कि सुहाग, स्वाभिमान और गौरव का प्रतीक है। हिंदू धर्म के 16 संस्कारों अर्थात जन्म से मृत्यु तक में सोने का लेन देन किया जाता है। बच्चे के जन्म के समय उसे कमर में काले धागे के साथ सोने की लटकन पहनाई जाती है। यज्ञोपवीत संस्कार के समय भी सोने का गहना बच्चे को पहनाया जाता है, घर में पहली बार प्रवेश करने पर सास बहू को सोने के जेवर सौगात में देती है। मृत्यु के समय भी ब्राहमण को दान में सोना दिया जाता है।
इस तरह, किसी भी शुभ मुहूर्त में, शादी, त्योहार या मृत्यु के समय सोने की खरीददारी की जाती है, जबकि पश्चिमी देशों में ऐसा नहीं होता। वहां लोग शादी में बहुत सारे गहने नहीं पहनते। न ही गिफ्ट में सोने के जेवर या सोना देने का चलन है। अमेरिका और यूरोप में शादी में सिर्फ सोने की रिंग दी जाती है, जो 9 या 12 कैरेट की होती है, जबकि भारत में शादी में 22 या 24 कैरेट का सोना जेवर के रूप में लडक़ी और लडक़े को दिया जाता है। आजकल शादी में सोने का बिस्किट भी सौगात में दिया जाता है। र्वल्ड गोल्ड काउंसिल (डब्ल्यूजीसी) की मई, 2020 में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय महिलाओं के पास लगभग 24 हजार टन सोना है, जिसे दुनिया का सबसे बड़ा सोने का खजाना माना जा सकता है। डब्ल्यूजीसी के मुताबिक भारतीय महिलाएं दुनिया के कुल स्वर्ण भंडार का 11 प्रतिशत हिस्सा आभूषणों के रूप में पहनती हैं, जो वि के शीर्ष 5 देशों के सोने के कुल भंडार से अधिक है। आज अमेरिका के पास 8,000 टन, जर्मनी के पास 3,300 टन, इटली के पास 2,450 टन, फ्रांस के पास 2,400 टन और रूस के पास 1,900 टन सोना है।
दक्षिण भारत के राज्यों की देश के कुल गहने की खरीदारी में 40 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, जिसमें से अकेले तमिलनाडु की हिस्सेदारी 28 प्रतिशत है। भारत में फिल्म नायिकाएं, बड़े कारोबारिया कॉरपोरेट घराने या राजे-रजवाड़ों के वारिसों की बहु-बेटियां शादी या किसी भी त्योहार या किसी पार्टी या कार्यक्रम में सोने के जेवरात पहनना पसंद करती हैं। इस वजह से आज शादी-विवाह में अरबों-खरबों रुपये सोने के जेवर खरीदने में खर्च किए जा रहे हैं।
शादी के मौसम या दीवाली या अक्षय तृतीया में सोने या सोने के गहनों की जमकर खरीदारी की जाती है क्योंकि आजकल सौगात में सोना या सोने के जेवर देने का चलन बहुत ज्यादा बढ़ गया है। भारत के मंदिरों में भी अकूत सोना जमा है।
इस संबंध में डब्ल्यूजीसी ने 2020 में एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसके अनुसार लगभग 4 हजार टन से अधिक सोना भारत के मंदिरों में जमा है। केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर में 1,300 टन सोना जमा है, जबकि आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में 300 टन सोना जमा है। चूंकि भारत सोने की मांग की घरेलू आपूर्ति खुद से करने में असमर्थ है, इसलिए उसे घरेलू जरूरत पूरा करने के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। भारत स्विट्जरलैंड से 45.8 प्रतिशत, यूनाइटेड अरब अमीरात (यूएई) से 12.7 प्रतिशत, दक्षिण अफ्रीका और गिनी से 7.3 प्रतिशत और पेरू से 5 प्रतिशत सोना आयात करता है।
सोना खरीदने के मामले में दुनिया में चीन के बाद भारत दूसरे स्थान पर है, लेकिन भारत में सोने की मांग जिस तरह से लगातार बढ़ रही है, उससे प्रतीत हो रहा है कि जल्द ही भारत चीन को पछाड़ करके दुनिया में सबसे अधिक सोना खरीदने वाला देश बन जाएगा। भारत में सोने के उपयोग में निरंतर इजाफा हो रहा है। सोने की आयात में तेजी की वजह से देश के व्यापार घाटे में भी इजाफा हो रहा है। साथ ही रुपया भी अमेरिकी डॉलर की तुलना में कमजोर होता है। दुनिया में सबसे मजबूत करंसी अमेरिकी डॉलर है। इसलिए लगभग सभी देश आयात के लिए दूसरे देश के कारोबारियों को डॉलर में भुगतान करते हैं। फिलवक्त, रूस-यूक्रेन के बीच में युद्ध और मंहगाई की वजह से रुपया लगातार कमजोर हो रहा है, और रुपये को कमजोर करने में सोने के बढ़ते आयात की भी बड़ी भूमिका है।
इस वजह से जुलाई, 2022 में रुपये में कमजोरी को रोकने और सोने का आयात कम करने के लिए सोने पर आयात शुल्क 7.5 से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया था। यह इसलिए भी जरूरी था क्योंकि वित्त वर्ष 2021-22 में देश में सोने के आयात में 33 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी और सोने के कुल आयात की कीमत लगभग 37,44 अरब रुपये हो गई थी। पड़ताल से साफ है कि भारत में आने वाले दिनों में सोने की मांग में इजाफा होगा और इसकी मांग में बढ़ोतरी होने से कीमत में भी वृद्धि होगी। मौजूदा हालात में आयात शुल्क में बढ़ोतरी भी सोने का आयात को रोकने में समर्थ नहीं है क्योंकि भारत में सोने को लेकर आम जन पागल हैं। इसे भारत के लोग निवेश नहीं मानते। यह भारतीय स्त्रियों की धमनियों में बहने वाले खून के समान है, जिसे शिराओं से बाहर कभी भी नहीं निकाला जा सकता।