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चीनी सैन्य गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भारत ने शुरू की तैयारी, आईटीबीपी को बंकर-चौकियां बनाने के लिए मिलेगी 51 हेक्टेयर भूमि

उत्तरकाशी। चीन सीमा के उस पार सैन्य गतिविधियां बढ़ने और संरचनात्मक ढांचे में हो रहे परिवर्तनों पर नजर रखने के लिए अब भारत ने भी तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए गंगोत्री नेशनल पार्क सेना और आईटीबीपी को बंकर-चौकियां बनाने के लिए 51 हेक्टेयर भूमि देने को तैयार हो गया है। सेना के प्रस्ताव पर उत्तरकाशी के सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित इस जमीन के हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। भारत-चीन अंतरराष्ट्रीय सीमा पर उत्तरकाशी क्षेत्र में स्थित नेलांग सहित जादूंग और सुमला पीडीए का क्षेत्र गंगोत्री नेशनल पार्क के अंतर्गत आता है। जहां पार्क प्रशासन की अनुमति के बिना किसी भी प्रकार का नया निर्माण नहीं हो सकता है। लेकिन सेना को सैन्य विस्तार के लिए जमीन की जरूरत है, जिससे सेना ने 51 हेक्टेयर भूमि के हस्तांतरण का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था।

इस बारे में गंगोत्री नेशनल पार्क के उपनिदेशक आरएन पांडेय ने बताया कि दो दिन पहले वन संरक्षक राजाजी टाइगर रिजर्व फॉरेस्ट निदेशक डॉ. साकेत बडोला ने गंगोत्री नेशनल पार्क का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने सैन्य अफसरों के साथ बैठक की। इसमें सैन्य अधिकारियों ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भूमि हस्तांतरण को लेकर उन्होंने केंद्र सरकार के साथ पत्राचार किया है। जिस पर निदेशक डॉ. बडोला ने गंगोत्री नेशनल पार्क के अधिकारियों को जल्द ही प्रक्रिया प्रारंभ करने का निर्देश दिया। उसके बाद पार्क प्रशासन ने भूमि हस्तांतरण प्रक्रिया प्रारंभ कर दी है। उत्तरकाशी के इस क्षेत्र में 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान सेना, आईटीबीपी ने कैंप, चौकियां व बंकर बनाए थे, जो अभी भी हैं। लेकिन चीन सीमा के उस पार लगातार सैन्य गतिविधियां बढ़ा रहा है, जिससे सीमा के इस पार भी सैन्य विस्तार की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही है।

भारत-चीन सीमा पर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए पिछले दिनों केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय ने कई योजनाएं तैयार की हैं। इसी कड़ी में सीमा पर सैन्य विस्तार के तहत सेना-आईटीबीपी को बंकर, चौकियां बनाने के लिए भूमि की जरूरत को देखा गया। इसके बाद सेना ने केंद्र को गंगोत्री नेशनल पार्क की 51 हेक्टेयर भूमि के हस्तांतरण का प्रस्ताव दिया। जिस पर जिस पर त्वरित कार्रवाई शुरू हो गई है। इससे चीन की हरकतों पर जहां नजर रहेगी वहीं उसको तत्काल जवाब दिया जा सकेगा।

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