सवाल है कि संसद का बजट सत्र समय से पहले समाप्त हो जाने के बाद क्या भाजपा और कांग्रेस के उठाए मुद्दे समाप्त हो जाएंगे? इसकी संभावना कम है। सत्तापक्ष और विपक्ष ने जो मुद्दा उठाया है वह सिर्फ संसद सत्र को ध्यान में रख कर नहीं उठाया गया है। इसे आगे की राजनीति को ध्यान में रख कर उठाया गया है। भारतीय जनता पार्टी लंदन में दिए भाषण के बहाने राहुल गांधी को देश विरोधी साबित करने में लगी है। देश के अपमान का मुद्दा बना कर उनसे माफी मांगने को कहा जा रहा है, जबकि अगर उन्होंने संसद से बाहर कोई देश विरोधी बात कही है तो उनके ऊपर देशद्रोह का आपराधिक मुकदमा चलना चाहिए। लेकिन बात बात में राहुल के खिलाफ मुकदमा कराने वाली भाजपा ऐसा नहीं कर रही है। वह इसे राजनीतिक मुद्दा बनाए रखेगी। कर्नाटक से लेकर आगे होने वाले हर राज्य के चुनाव में इसे मुद्दा बनाया जाएगा।
इसी तरह विपक्ष को लग रहा है कि अदानी समूह के खिलाफ आए हिंडनबर्ग रिपोर्ट से उसको बोफोर्स या 2जी जैसा कोई बड़ा मुद्दा मिल गया है। विपक्ष इसे लोकसभा चुनाव का ब्रह्मास्त्र मान रहा है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों को लग रहा है कि अदानी समूह की करीबी का प्रचार करके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कई एजेंडे को ध्वस्त किया जा सकता है। राहुल गांधी पिछले चुनाव से ‘चौकीदार चोर है’ का नारा लगा रहे थे लेकिन तब उनके पास कोई स्पेशिफिक गड़बड़ी का सबूत नहीं था। अब हिंडनबर्ग की रिपोर्ट और शेयर बाजार में अदानी समूह का 12 लाख करोड़ रुपया डूबने से उनके हाथ सबूत लगा है। संदिग्ध कंपनियों के रक्षा सौदों में शामिल होने की खबरे हैं। सो, विपक्ष भी इस मुद्दे को नहीं छोड़ेगा। बहरहाल, संसद का अगला सत्र कर्नाटक विधानसभा के चुनाव के बाद होगा और कर्नाटक के नतीजों से तय होगा कि संसद में क्या माहौल रहेगा।