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निरंजन पीठाधीश्वर श्री श्री १००८ आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी कैलाशानन्द गिरि जी महाराज ने लॉरेन पॉवेल जॉब्स को अपनी शिष्य के रूप में किया स्वीकार 

उत्तर प्रदेश। एप्पल कंपनी के सह-संस्थापक और हिंदू धर्म के प्रति गहरी आस्था रखने वाले स्टीव आज इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उनकी पत्नी लॉरेन पॉवल जॉब्स उनके दिखाए आध्यात्मिक मार्ग पर आगे बढ़ रही हैं। वर्तमान में दुनिया की सबसे धनी महिलाओं में से एक लॉरेन हाल ही में प्रयागराज के महाकुंभ में पहुंची हैं। वे यहां विशेष रूप से कल्पवास करेंगी, हालांकि इस दौरान उनका नाम और गोत्र बदल जाएगा, जिससे यह उनकी आध्यात्मिक यात्रा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनेगा।

सनातन धर्म में दीक्षा और नामकरण
लॉरेन पॉवेल जॉब्स को उनके गुरु निरंजन पीठाधीश्वर श्री श्री १००८ आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी कैलाशानन्द गिरि जी महाराज ने अपना शिष्य स्वीकार किया है। उन्होंने उन्हें अपनी ‘पुत्री’ के रूप में स्थान देते हुए गोत्र प्रदान किया और उनका नामकरण ‘कमला’ किया। यह नामकरण समारोह वाराणसी में आयोजित हुआ, जहां लॉरेन ने बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन किए, गंगा में नौकायन का अनुभव लिया और दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती में भाग लिया। स्वामी कैलाशानंद गिरि ने बताया कि लॉरेन, जिन्हें अब कमला के नाम से जाना जाएगा, उनके प्रति गहरी श्रद्धा और स्नेह रखती हैं। उन्होंने अपने गुरु को पिता समान मानते हुए सनातन धर्म के गूढ़ रहस्यों को जानने और समझने की इच्छा व्यक्त की है।

महाकुंभ में शामिल होने की योजना

कमला (लॉरेन जॉब्स) प्रयागराज महाकुंभ में दो प्रमुख शाही स्नानों, मकर संक्रांति स्नान और मौनी अमावस्या स्नान में भाग लेंगी। उनकी यह यात्रा एक आध्यात्मिक साधना का हिस्सा है, जिसमें वे संतों और अन्य श्रद्धालुओं के साथ रहकर सनातन धर्म की गहराइयों को समझने की कोशिश करेंगी। निरंजन पीठाधीश्वर श्री श्री १००८ आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी कैलाशानन्द गिरि जी महाराज ने कहा कि महाकुंभ का यह आयोजन न केवल अध्यात्म का केंद्र है, बल्कि यह विश्व भर के लोगों को भारतीय संस्कृति और सनातन परंपरा से जोड़ने का एक अनूठा माध्यम भी है। कमला का इस आयोजन में भाग लेना इस बात का प्रतीक है कि सनातन धर्म की व्यापकता और गहराई आज भी दुनियाभर के लोगों को आकर्षित कर रही है।

जॉब्स परिवार का सनातन धर्म का नाता
लॉरेन जॉब्स के पति और ऐपल के संस्थापक स्टीव जॉब्स का सनातन धर्म और भारतीय अध्यात्म से गहरा संबंध रहा है। 1970 के दशक में स्टीव जॉब्स सात महीने के लिए भारत आए थे और नैनीताल स्थित कैंची धाम में बाबा नीम करौली महाराज के दर्शन किए थे। बाबा के प्रति उनकी अगाध आस्था थी और उन्होंने अपनी जिंदगी के कई सिद्धांत भारतीय आध्यात्मिकता से सीखे। लॉरेन अपने दिवंगत पति के पदचिह्नों पर चलते हुए, अब इस परंपरा को आगे बढ़ा रही हैं। उनका महाकुंभ में शामिल होना इस बात का प्रमाण है कि जॉब्स परिवार का भारतीय आध्यात्मिकता और सनातन धर्म से विशेष जुड़ाव रहा है।

महाकुंभ में कमला का योगदान
महाकुंभ के दौरान, कमला केवल आध्यात्मिक शांति की खोज के लिए नहीं आई हैं, बल्कि वे सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार में भी अपनी भूमिका निभाना चाहती हैं। वह कथा, प्रवचन और ध्यान जैसे कार्यक्रमों में भाग लेंगी और अन्य श्रद्धालुओं के साथ अपने अनुभव साझा करेंगी। निरंजन पीठाधीश्वर श्री श्री १००८ आचार्य महामंडलेश्वर पूज्य स्वामी कैलाशानन्द गिरि जी महाराज ने यह भी बताया कि अगर कमला की इच्छा होगी, तो वे 13 जनवरी को अखाड़े की पेशवाई में भी भाग लेंगी। उनकी उपस्थिति महाकुंभ में एक विशेष आकर्षण होगी और सनातन धर्म के प्रति विश्वभर के लोगों का ध्यान आकर्षित करेगी।

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