देहरादून। जोशीमठ भू-धंसाव प्रभावित क्षेत्र में क्षति के हिसाब से ही विस्थापन एवं पुनर्वास की कार्ययोजना बनेगी। आपदा प्रभावित क्षेत्र में जो भवन या वार्ड ज्यादा क्षतिग्रस्त और संवेदनशील होंगे, उन्हें वहां से सुरक्षित जगहों पर बसाने पर विचार हो सकता है। केंद्र और राज्य का जोशीमठ के पूरे भू-धंसाव क्षेत्र को अन्यत्र बसाये जाने का इरादा नहीं है, बल्कि क्षतिग्रस्त इलाकों के हिसाब से पुनर्वास, पुनर्निर्माण की रूपरेखा बनाई जा सकती है। मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधु के मुताबिक, नई दिल्ली में पीडीएनए टीम के साथ एनडीएमए की बैठक हो चुकी है। इस बैठक का कार्यवृत्त प्राप्त होने के बाद कुछ स्थिति स्पष्ट हो पाएगी।
जोशीमठ के भू-धंसाव प्रभावितों को उनके क्षतिग्रस्त भवनों का मुआवजा देने के बाद अभी सरकार को पुनर्वास और विस्थापन के बारे में भी निर्णय लेना है। प्रभावितों की भूमि के मुआवजे की दरें भी अभी तय नहीं हो पाई हैं। हालांकि प्रदेश सरकार ने आपदा प्रभावित क्षेत्र में पुनर्वास, पुनर्स्थापन और पुनर्निर्माण के लिए अपने बजट में 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। करीब तीन हजार करोड़ रुपये केंद्र से आर्थिक पैकेज के रूप में मांगे हैं, लेकिन सब कुछ केंद्र की रिपोर्ट पर टिका है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के तहत जोशीमठ भू-धंसाव क्षेत्र का पोस्ट डिजास्टर नीड्स असेसमेंट (पीडीएनए) का ड्राफ्ट तैयार हो चुका है। नई दिल्ली में पिछले दिनों राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनएडीएमए) ने ड्राफ्ट के बारे में तकनीकी रायशुमारी कर ली है।
पीडीएनए के तहत जोशीमठ में भू-धंसाव से नुकसान का वैज्ञानिक तरीके से आकलन करने के बाद ड्राफ्ट रिपोर्ट फाइनल होनी है। माना जा रहा है कि नई दिल्ली में एक और बैठक होगी, जिसमें ड्राफ्ट पर मुहर लग जाएगी। पीडीएनए के ड्राफ्ट से ही तय होगा कि केंद्र सरकार जोशीमठ भू-धंसाव क्षेत्र के लिए कितना आर्थिक पैकेज देती है। प्रदेश सरकार ने केंद्र से करीब तीन हजार करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता मांगी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध कर चुके हैं।